देश की यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में फाइनल ईयर की परीक्षाओं के लिए जारी यूजीसी की गाइडलाइंस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई की गई। यूजीसी की गाइडलाइन के बाद अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक कराने के निर्देशों का देश भर में विरोध हो रहा है। फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर अब 10 अगस्त को सुनवाई होगी। कोर्ट ने सॉलिसिटर जरनल तुषार मेहता से कहा कि गृह मंत्रालय का पक्ष स्पष्ट करें और 7 अगस्त तक एफिडेविट सबमिट करें।
कई विश्वविद्यालयों के पास जरूरी IT साधन नहीं
याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि कई यूनिवर्सिटीज के पास ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने के लिए आवश्यक आईटी इंफ्रास्ट्रक्टर नहीं है। इसके अलावा, कोरोना के कारण बने हालातों के बीच परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकती हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि यूजीसी की 22 अप्रैल और 6 जुलाई को जारी गाइडलाइन में कोई अंतर नहीं है। यूजीसी ने 22 अप्रैल की गाइडलाइंस में 31 अगस्त तक परीक्षाओं के आयोजन के निर्देश दिये थे, वहीं 6 जुलाई की गाइडलाइंस में परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के निर्देश दिये थे।
बिना परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किए जा सकते: यूजीसी
यूजीसी ने अपने जवाब में कोर्ट को बताया है कि छात्रों के भविष्य को देखते हुए देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए अधिसूचना जारी की गई है। आयोग के मुताबिक स्टूडेंट्स के लिए फाइनल ईयर काफी महत्वपूर्ण होता है, जिसके परिणाम के आधार पर स्टूडेंट्स का भविष्य निर्भर करता है। इसलिए अंतिम वर्ष में बिना परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किए जा सकते हैं।
सितंबर में अंत तक होगी परीक्षाएं
दरअसल, देशभर की कई यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में यूजीसी की गाइडलाइन के खिलाफ याचिका दायर की है। दायर याचिका में यूजीसी द्वारा जारी की गई संशोधित गाइडलाइंस को रद्द करने की मांग की गई है। 6 जुलाई को यूजीसी ने अपनी संशोधित गाइडलाइंस में देश की सभी यूनिवर्सिटी को कहा है कि वे फाइनल ईयर या लास्ट सेमेस्टर की परीक्षाएं सिंतबर तक आयोजित करा लें।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment