उम्र कोई भी हो दोस्तों की संख्या बढ़ाएं, विज्ञान कहता है दोस्ती पक्की हो तो डिप्रेशन घटता है; खुशहाली के साथ लम्बी उम्र मिलती है - NEWS E HUB

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Sunday, 2 August 2020

उम्र कोई भी हो दोस्तों की संख्या बढ़ाएं, विज्ञान कहता है दोस्ती पक्की हो तो डिप्रेशन घटता है; खुशहाली के साथ लम्बी उम्र मिलती है

















science of friendship research says friends can help to recover from depression and give you happiness and live to long life

दोस्तों का साथ कितना कुछ बदलता है, इस पर अब विज्ञान की मुहर भी लग गई है। लम्बी उम्र चाहिए तो दोस्त बनाएं, डिप्रेशन से दूर रहना चाहते हैं तो भी दोस्तों की संगत जरूरी है। इतना ही नहीं, वर्क प्लेस पर काम करने की क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं तो एक कलीग आप में जोश भरने का काम कर सकता है। ये सभी बातें रिसर्च में साबित हो चुकी हैं। आज फ्रेंडशिप डे है, इस मौके पर रिसर्च की जुबानी समझते हैं क्या कहता है, दोस्ती का विज्ञान।

दोस्तों पर हुई 5 रिसर्च से 5 असरदार बातें पता चलती हैं

पहली बात: दोस्तों का सर्कल बढ़ने पर डिप्रेशन से रिकवरी दोगुना तेजी से होती है
डिप्रेशन से दूर रहना चाहते हैं और लम्बी उम्र बढ़ाना चाहते हैं तो दोस्तों की संख्या को बढ़ाएं। प्रोसीडिंग्स ऑफ रॉयल सोसायटी जर्नल में प्रकाशित शोध दोस्ती के बारे में नई बात सामने रखता है। इसे समझने के लिए रिसर्च की गई। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में ऐसे दो हजार स्टूडेंट्स को शामिल किया जिनमें डिप्रेशन के लक्षण दिखे।

रिसर्च में सामने आया कि जिन स्टूडेंट्स के पास दोस्तों की संख्या बढ़ी थी उनमें डिप्रेशन के लक्षण घटे। इनमें दोगुना तेजी से रिकवरी की सम्भावना देखी गई।

अमेरिका में हुई एक और रिसर्च बताती है कि अकेलापन डिप्रेशन बढ़ाने के साथ सेहत को भी प्रभावित करता है। एन्नल्स ऑफ बिहेवियरल मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक कि दोस्तों का सर्कल आपकी उम्र भी बढ़ाता है और आपको खुश भी रखता है।

दूसरी बात: वर्क प्लेस पर दोस्तों का साथ आपको खुशहाल और मेहनती बनाता है
ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, दोस्तों का साथ निजी जिंदगी में ही नहीं, वर्क प्लेस पर भी आपको खुश रखता है। रिसर्च के मुताबिक, 66 फीसदी लोगों का कहना वर्क प्लेस पर मौजूद दोस्तों के कारण ऑफिस में काम करने का उत्साह बढ़ जाता है।

57 फीसदी का कहना है कि वर्क प्लेस होने वाली दोस्ती आपको खुशहाल बनाने के साथ काम करने की क्षमता को भी बढ़ाती है। 2020 में हुई यह बताती है कि 77 फीसदी लोगों का अपने कलीग्स के साथ पॉजिटिव रिलेशनशिप रहता है।

तीसरी बात: एक इंसान केवल पांच दोस्तों से ही नजदीकी रिश्ते बना पाता है
ब्रिटिश एंथ्रोपोलॉजिस्ट और शोधकर्ता रॉबिन डनबार की रिसर्च कहती है कि एक इंसान 150 से अधिक दोस्तों से दोस्ती नहीं निभा सकता। इनमें से इंसान के दिल के करीब कुछ ही दोस्त होते हैं। सबसे अच्छे दोस्त कितने होते हैं, इस पर शोधकर्ता रॉबिन का कहना है एक इंसान भले ही 150 दोस्तों का सर्कल मेंटेन कर सकता है लेकिन मात्र 5 दोस्त ही ऐसे होते हैं जिनसे वह अपनी हर बात शेयर कर सकता है।

चौथी बात:. दोस्त कितने भी हों, मात्र 50 फीसदी ही आपको अपना सच्चा दोस्त मानते हैं
आपके दोस्त वाकई में आपको कितना अपना दोस्त मानते हैं, इस पर अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने 2016 में रिसर्च की। रिसर्च में सामने आया कि आपके पास जितने भी दोस्त हैं उनमें से सिर्फ 50 फीसदी ही आपको अपना सच्चा दोस्त मानते हैं। यह रिसर्च 23 से 38 उम्र के लोगों पर की गई थी।

रिसर्च में शामिल 94 फीसदी दोस्तों ने एक-दूसरे के प्रति अपनी फीलिंग शेयर की लेकिन परिणाम के तौर पर सामने आया कि मात्र 53 फीसदी दोस्तों की बातें ही सच्ची थी।

पांचवी बात: उम्र बढ़ने पर परिवार से ज्यादा काम आते हैं दोस्त
जब बात बढ़ती उम्र में साथ निभाने की आती है तो परिवार से ज्यादा दोस्त सबसे विश्वसनीय विकल्प साबित होते हैं। अमेरिकी की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है कि जब हमारी उम्र बढ़ रही होती है तो दोस्त ही कई तरह से मददगार साबित होते हैं। शोधकर्ता विलियन चोपिक ने इसे समझने के लिए दुनियाभर के 100 देशों के 271,053 लोगों पर सर्वे किया।

सर्वे कहता है कि जिनके दोस्त अधिक होते हैं वे ज्यादा खुश और स्वस्थ रहते हैं।

शोधकर्ताओं ने इसका दूसरा पहलू भी बताया। उनका कहना है इंसान उम्रदराज है और दोस्ती में खटास आ गई है तो यही दोस्ती तनाव की वजह बन सकती है। इंसान को ब्लड प्रेशर की समस्या, हार्ट डिसीज और डायबिटीज से जूझना पड़ सकता है।


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