हरियाणा में कुंडली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन बड़ा होता जा रहा है। करीब 450 किमी दूर वाघा बॉर्डर से 20-22 घंटे की यात्रा कर भी किसान यहां पहुंच रहे हैं। सीमा से लगे गांवों के करीब 1000 किसान भी यहां धरना देने पहुंचे हैं। किसानाें ने कहा कि हम तो पहले से ही तामम बंदिशाें के बीच जान जोखिम में डालकर खेती करते आए हैं। आज सरकार देश भर के किसानों को काला कानून लाकर बंदिश में बांधना चाहती है। ऐसे में न हम उस बॉर्डर से डरे थे, न इस बॉर्डर पर डरेंगे।
तीनों कृषि कानूनों को खत्म कराकर ही घर लौटेंगे।अमृतसर के रणिका गांव के किसान सरताज कहते हैं कि खेत की जमीन पाकिस्तान बॉर्डर के पास है। हम अपनी जमीन पर भी खौफ के साए में खेती करते हैं। 6 से 7 घंटे के लिए वाघा बॉर्डर खुलता है। बीएसएफ की मौजूदगी में ही फसलाें की कटाई, बुआई और सिंचाई होती है। अब केंद्र सरकार नए कानून लाकर हमारा दर्द और बढ़ाना चाहती है। इसे हम सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बॉर्डर और उस बॉर्डर में भी कई समानताएं हैं।
जैसे, कम सिग्नल होने की दिक्कत से इंटरनेट में बाधा थी यहां भी करीब-करीब वैसी ही है। घरवालों से सही तरह बात भी नहीं हो पा रही। पाक बॉर्डर से लगते पंजाब के गांवों से एक हजार से अधिक किसान आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं। किसान संगठनों के आह्वान पर पंजाब के गांव-गांव में मुनादी करके किसानों को राशन-पानी के साथ आंदोलन में भागीदारी का आह्वान किया गया था।
वाघा बॉर्डर से दो किलोमीटर दूर अमृतसर के रणिका गांव से ट्रैक्टर लेकर आंदोलन में पहुंचे सरताज ने बताया कि वे पहले ही बॉर्डर पर खेती होने का दंश झेल रहे हैं। अपने खेत में जाने के लिए बॉर्डर का गेट खुलने का इंतजार रहता है।
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