(रमिंद्र सिंह)पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक जिस गलवान घाटी में 43 दिन से भारत-चीन के बीच तनाव चल रहा है, वह भारतीय सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। चीन के हमले में 20 भारतीय जवान शहीद हो चुके हैं। चीन सीमा पर तैनात व 1962 के युद्ध में शामिल रहे कई रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों से भास्कर ने गलवान घाटी की भौगोलिक स्थिति के बारे में जाना।
वे बताते हैं कि चीन को यहां अक्साई चीन इलाका खोने का डर है। यदि चीन गलवान नदी घाटी के पूरे हिस्से को नियंत्रित नहीं करता है तो भारत अक्साई चीन पठार को कब्जाने के लिए नदी घाटी का प्रयोग कर सकता है। इस कारण वह गलवान घाटी में भारतीय सेना की मौजूदगी नहीं चाहता और आवाजाही के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम नहीं करने देना चाहता। गलवान घाटी ऐसी जगह है, जहां पहाड में कट है। चीन यहां बैठकर भारतीय सेना की हर हलचल पर नजर रखना चाहता है।
चीन को गलवान घाटी में भारत की मजबूत पकड़ होने से अक्साई चीन खोने का डर
रिटायर्ड ब्रिगेडियर राजिंद्र कुमार ने बताया कि गलवान देश का हिस्सा है। चीन के लिए शिनजियांग से तिब्बत आने का रास्ता अक्साई चीन से है। चीन ने अक्साई चीन में 1963-67 के बीच सड़क बना ली थी। चीन को आज भी लगता है कि भारत सड़क वापस लेगा या तोड़ेगा। गलवान घाटी काराकोरम की दुर्गम पहाड़ियों की रेंज कहलाता है। की सहायक नदी गलवान है।
इस पर भारतीय सेना ने पुल बनाया है, ताकि पुल से सैनिक टुकड़ियों व गाड़ियों का काफिला गुजर सके। यदि चीनी काराकोरम रेंज के ऊपर आ गए तो वे हमारे क्षेत्र में देख पाएंगे। (दौलत बेग क्षेत्र में इन्फेंट्री डिवीजन में बतौर कर्नल जीएस तैनात रहे)
चीन विश्व पटल पर घिरा है, सड़क बना सीमा के नजदीक पहुंचने के कारण बौखलाया चीन
रिटायर्ड ब्रिगेडियर डीके खुल्लर ने बताया कि इस समय चीन भारत को उकसा रहा है। भारत ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया है। गलवान घाटी तक सड़क बना ली और भारत सड़क बनाकर सीमा के नजदीक आ गया है। चीन को नजर आ रहा है कि भारत की मौजूदगी बढ़ गई है, जिससे उसे खतरा हो सकता है। चीन विश्व पटल पर भी घिरा हुआ है। वह हांगकांग में उलझ रहा है।
साउथ चाइना-सी में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। ताइवान से उलझ रहा है। वह अपना ध्यान अब कहीं और ले जाना चाहता है। वह हमारे पर हावी होना चाहता है, लेकिन अब 1962 वाले हालात नहीं है। (भारत-चीन युद्ध में शामिल रहे)
हमारे सैनिक 10 गुना ज्यादा बेहतर, पर सख्त संदेश जरूरी
रिटायर्ड कर्नल आरडी सिंह ने बताया कि चीन की आदत अपना इलाका बढ़ाने की रही है। 1962 में उसने हमला किया तो भारतीय सेना तैयार नहीं थी। मगर, आज हमारे पास चीन से बेहतर हथियार हैं। चीन से 10 गुना ज्यादा बेहतर हमारे सैनिक हैं। गलवान की इस घटना के बाद चीन को कड़ा संदेश देना जरूरी है। (अरुणाचल में चीन सीमा पर 12 हजार फीट पर तेंगा क्षेत्र में तैनात रहे)
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