
तूफान से बाधित हुई सप्लाई 42 घंटे बाद भी बहाल नहीं हो पाई है। स्थानीय बिजली अधिकारी चाहते तो जिलावासियों को 36 घंटे पहले यानि सोमवार शाम से पहले ही राहत मिल सकती थी। इसके लिए पड़ोसी जिलों से फील्ड कर्मचारियों की मदद मांगनी थी, क्योंकि पानीपत सर्कल में 1065 की जरूरत पर 519 ही फील्ड कर्मचारी हैं। 519 पद खाली पड़े हैं।
एक्सपर्ट की माने तो ऐसी आपदा की स्थिति में पड़ोसी जिलों से मदद मिल सकती है। बस इसके लिए स्थानीय अधिकारियों को उच्चाधिकारियों को पत्र लिख स्थिति से अवगत करवा मदद मांगनी थी। अगर फील्ड कर्मचारियों की मदद मिल जाती तो तूफान थमने के बाद 12 घंटे में बिजली सुचारू हो सकती थी।
कर्मचारियाें की संख्या :बिजली निगम के रिकाॅर्ड के अनुसार जिलाभर में पानीपत सर्कल में 1065 की जरूरत पर 519 ही फील्ड कर्मचारी हैं। 519 पद खाली पड़े हैं। इनमें 51 जेई की जरूरत पर 35 हैं ओर 16 पद खाली हैं। लाइनमैन 215 चाहिए, लेकिन 184 हैं और 31 पद खाली हैं। एेसे ही की जरूरत पर 538 मात्र 191 ही एएलएम हैं। बाकी 347 पद खाली हैं। इनके अलावा डीसी रेट कर्मचारी 261 चाहिए, लेकिन 136 हैं और 125 पद खाली हैं।
तूफान में हुआ अनुमानित 1.25 करोड़ का नुकसान
पूरे पानीपत सर्कल की बात की जाए तो तूफान में 1000 से ज्यादा पोल व 500 किमी तक लंबी लाइन टूटी है। इसके अलावा करीब 25 ट्रांसफार्मर डैमेज हुए हैं। इसे ध्यान मेेें रखते हुए बिजली अधिकारियों ने अनुमान लगाया गया है कि करीब 1.25 करोड़ का नुकसान हुआ है।
बिजली निगम ने इस शेड्यूल से किया काम
सबसे पहले जिले में 33 केवी वाली 42 लाइनों को ठीक किया गया। इसके बाद शहरी क्षेत्र में 11 केवी की लाइन ठीक की गई। फिर लो टेंशन व टूटे ट्रांसफार्मर हटाकर नए लगाए गए।
पहले पॉश एरिया में ठीक की फिर कॉलोनियां देखी कर्मचारियों की कमी के चलते बिजली निगम ने पहले शहर के पॉश एरिया में सप्लाई सुचारू की। फिर बाजार कॉलोनियों में काम शुरू किए। इसके बाद ग्रामीण एरिया व सबसे बाद में खेतों में काम शुरू किया।
खेतों में किसान जेनरेटर से चला रहे ट्यूबवेल
बिजली नहीं आने से खेतों में किसान जेनरेटर से ट्यूबवेल चला रहे हैं। इन दिनों में खेतों में धान लगना शुरू हो गई है। ऐसे में खेत से पानी नहीं सुखा सकते।
किसानों ने खुद ही खड़े किए पोल
छाजपुर में श्याम लाल, धूप सिंह, शक्ति, रमेश सैनी, प्रदीप, रवि राजबीर व राजू ने अपने आप ही 4 पोल खड़े करके लाइन भी खुद ही जोड़ ली। किसानों का कहना है कि उन्होंने बिजली कर्मचारी पोल खड़े करते हुए देखे थे। उसी तकनीक को अपनाकर फसलों को ध्यान में रखते हुए यह काम खुद ही कर लिया। कई बार अधिकारियों व कर्मचारियों को फोन मिलाएं, लेकिन संपर्क नहीं हो पाए।
इन क्षेत्रों में 42 घंटे बाद भी नहीं चली बिजली :
शहर के सेक्टर-24, तहसील कैंप एरिया, किशनपुरा, सनाैली रोड एरिया, सेक्टर-13 व 17, सेक्टर-6, बरसत रोड, नूरवाला, कुटानी रोड और अन्य कॉलोनियों में 42 घंटे बाद भी बिजली नहीं चली। अधिकारियों ने बताया कि सबसे पहले 33 केवी व उसके बाद 11 केवी लाइन ठीक की। फिर कॉलोनियों में टूटी तारें, पोल व ट्रांसफार्मर बदलने में समय लगा।
इस तरह हुआ अलग-अलग सब डिवीजन में नुकसान
सब अर्बन सब डिवीजन में 350 से ज्यादा पोल व लाइन समेत अन्य उपकरण टूटने से 10.50 लाख रुपए, छाजपुर सब डिवीजन में 375 पोल, लाइन व अन्य उपकरण टूटने से 13.25 लाख, सनाैली रोड सब डिवीजन 5 पोल, लाइन व अन्य उपकरण टूटने से 5.25 लाख, सिटी सब डिवीजन में 7 पोल, लाइन व अन्य उपकरण टूटने से 4.50 लाख, मॉडल टाउन सब डिवीजन 45 पोल, लाइन व अन्य उपकरण टूटने से 8.50 लाख, इसराना सब डिवीजन में 9.50, समालखा सब डिवीजन में 9.25 लाख रुपए व मतलौडा सब डिवीजन में 8.50 लाख रुपए का नुकसान हुआ।
जल्दी सप्लाई सुचारू करने के आत्मविश्वास में नहीं मांगी मदद : एसई
नुकसान का आंकड़ा शुरू में कम दिखा। हमारी सभी टीमें दिन रात एक करके टूटे व टेड़े पोल खड़ा करने में जुट गईं। लाइनों को बदला जाने लगा। इससे हमारा आत्मविश्वास मजबूत हो गया। इसी कारण पड़ोसी जिलों से मदद नहीं मांगी। वैसे भी पड़ोसी जिले तूफान से प्रभावित हैं। हम भी पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं।- जेएस नारा, एसई, बिजली निगम, पानीपत।
एक्सपर्ट की राय : बिजली निगम से रिटायर्ड एक्सईएन आरडी गुप्ता- मदद मांगते ताे जल्दी सुधार हाेता:
पानीपत सर्कल में बिजली के फील्ड कर्मचारियों की भारी कमी है। इसी कमी चलते, फील्ड में आए फाॅल्ट तलाश करके ठीक करने में अक्सर परेशानी आती है। हालांकि तूफान में टूटी लाइन व पोल बदलने में लिए अधिकारी व कर्मचारी जुट गए थे। फिर भी बाहर से कर्मचारी आते तो फाॅल्ट जल्दी ठीक हो जाते।
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