558 साल बाद दुर्लभ योग: गुरु, शनि और राहु केतु के एक साथ वक्री रहते आया है सावन - NEWS E HUB

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Tuesday, 7 July 2020

558 साल बाद दुर्लभ योग: गुरु, शनि और राहु केतु के एक साथ वक्री रहते आया है सावन















पानीपत. सावन माह के पहले सोमवार को शिवलिंग पर किया जलाभिषेक।

सोमवार से सावन माह शुरू हो चुका है। ये महीना 3 अगस्त तक रहेगा। इस साल सावन माह में गुरु, शनि, राहु और केतु चारों ग्रह एक साथ वक्री रहेंगे। 2020 से पहले ऐसा योग 558 साल पहले 1462 में बना था। सोमवार से शुरू और इसी वार को सावन खत्म होने से इस माह का महत्व और अधिक बढ़ गया है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पंचांग में भेद भी हैं। दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और गुजरात में 21 जुलाई से सावन शुरू और 19 अगस्त को खत्म होगा।

जहां उत्तर भारत का पंचांग प्रचलित है, वहां 6 जुलाई से 3 अगस्त तक सावन रहेगा। शास्त्राें व ज्याेतिषाचार्याें के मुताबिक 558 साल पहले 1462 में भी गुरु, शनि, राहु-केतु एक साथ वक्री थे और सावन आया था। गुरु स्वयं की राशि धनु में वक्री, शनि अपनी राशि मकर में वक्री, राहु मिथुन में और केतु धनु राशि में वक्री था। ऐसा ही योग 2020 में भी बना है। उस समय सावन 21 जून से 20 जुलाई 1462 तक था।

जानिए... शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं दूध?
आचार्य लाल मणि पांडेय ने बताया कि सावन माह में लगातार बारिश होती है। इस कारण कई तरह के छोटे-छोटे जीवों की उत्पत्ति होती है। जब दूध देने वाले पशु इन घासों को और वनस्पतियों को खाते हैं तो पशुओं का दूध विष के सामान हो जाता है। इसीलिए इस माह में कच्चे दूध के सेवन से बचना चाहिए। शिवजी ने विषपान किया था, इस कारण सावन माह में शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है।

इस प्रकार कर सकते हैं संक्षिप्त पूजा

  • रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। पंचामृत से अभिषेक करें।
  • मंत्र ऊँ नम: शिवाय, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ सांब सदाशिवाय नम:, ऊँ रुद्राय नम: आदि मंत्रों का जाप करें।
  • चंदन, फूल, प्रसाद चढ़ाएं।
  • धूप-दीप जलाएं। शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें।
  • प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। धूप, दीप, कर्पूर जलाकर आरती करें।
  • शिवजी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें। भक्तों को प्रसाद वितरित करें।

भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है सोमवार का दिन
इस बार सावन सोमवार से शुरू होकर इसी वार को खत्म होगा। शिवजी की पूजा में सोमवार का विशेष महत्व है। सावन पांचवां हिन्दी माह है। इसके स्वामी वैकुंठनाथ हैं, और श्रवण नक्षत्र में इसकी पूर्णिमा आने से इसे श्रावण या सावन माह कहा जाता है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव हैं। चंद्र का एक नाम सोम भी है। शिवपुराण के अनुसार शिवजी और पार्वतीजी का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, उस दिन सोमवार ही था।


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