7 जिले, 3622 गांव, 67 लाख लोगों के लाभान्वित होने का दावा; जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से नहीं दूर हुई समस्या - NEWS E HUB

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Thursday, 2 July 2020

7 जिले, 3622 गांव, 67 लाख लोगों के लाभान्वित होने का दावा; जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से नहीं दूर हुई समस्या
















उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने बुंदेलखंड के हर घर में पानी पहुंचाने के लिए 2,185 करोड़ रुपए की लागत से बुंदेलखंड में 12 ग्रामीण पाइप पेयजल परियोजनाओं के निर्माण कार्य के शुभारंभ किया था। बुंदेलखंड के लिए शुरू की गई इस योजना को ऐतिहासिक शुरुआत करार देते हुए यूपी के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह ने दावा कहा है कि योगी सरकार दो साल के तय समय में योजनाओं को पूरा करने के लिए संकल्‍पबद्ध है। हालांकि महेंद्र सिंह ने पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि दृढ राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से बुंदेलखंड में पानी पहुंचाने की योजनाएं पूरी नहीं हो सकीं।

यूपी के जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने इस योजना को बुंदेलखंड की लाइफलाइन बताते हुए कहा कि सरकार इसे अभियान के रूप में लेते हुए पूरी संकल्‍प शक्ति के साथ साकार करने में जुट गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद ही कहा है कि कभी सूखे के लिए अभिशप्त माना जाने वाला बुन्देलखंड क्षेत्र अब देश में ‘जल जीवन मिशन’ का पहला केन्द्र बिन्दु बन रहा है। आने वाले समय में देश के आर्थिक विकास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ऐतिहासिक महत्‍व के बावजूद उपेक्षा का शिकार हुए बुंदेलखंड में अब सूखे, गरीबी और पलायन की समस्‍या नहीं रहेगी।

यूपी सरकार के जल शक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह।
यूपी सरकार के जल शक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह।

पूर्ववर्ती सरकारों की बड़ी-बड़ी घोषणाएं हवा हवाई थीं

बुंदेलखंड के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं और योजनाएं तो पूर्ववर्ती सरकारों के समय में भी कई बार आईं, पर पानी फिर भी नहीं पहुंचा? इस सवाल के जवाब में डॉ. सिंह ने कहा कि कि वो घोषणाएं और योजनाएं, सब हवा-हवाई थीं। वास्‍तविक हालात को देखे-समझे बिना ही तैयार की गई कागज़ी योजनाओं का यही अंजाम होता है। लिहाज़ा हमने बुंदेलखंड क्षेत्र के बांधों और वहां के सरफेस वाटर का पूरा आकलन करके योजना का ढांचा तैयार किया है।

महेंद्र सिंह ने कहा, "किसी भी पेयजल योजना के लिए लगभग 19 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) पानी की जरूरत होती है। इससे कहीं ज्‍यादा पानी की उपलब्‍धता इन बांधों में सुनिश्चित की गई है। इसलिए पानी की दिक्‍कत नहीं आएगी। रही बात योजना के क्रियान्‍वयन और रख-रखाव की, तो हमने 10 साल तक परियोजनाओं के मेंटिनेंस का जिम्‍मा कार्यदायी संस्‍थाओं को ही सौंपा है। यह प्रावधान सुनिश्चित और सुचारु जलापूर्ति की गारंटी के लिए ही किया गया है। घरों को मिलने वाला पानी भी विश्‍वस्‍तरीय गुणवत्‍ता वाला होगा, क्‍योंकि वाटर ट्रीटमेंट प्‍लांट (डब्‍ल्‍यूटीपी) के माध्‍यम से शुद्धीकरण करके ही जलापूर्ति की जाएगी।''

राजनीतिक इच्छाशक्ति से नहीं दूर हुई पानी की समस्या

डॉ. सिंह कहते हैं कि संवेदनशीलता और राजनीतिक इच्‍छा शक्ति की कमी ही अबतक बुंदेलखंड में पानी की समस्‍या का मूल कारण रही है। पानी का सवाल बुंदेलखंड के लिए कितना संवेदनशील है। इसे एक बुंदेली कहावत ‘गगरी न फूटे, खसम मर जाए’ से बखूबी समझा जा सकता है। पानी के लिए दस-दस मील तक पैदल चलने वाली महिलाओं के लिए पानी के इस महत्‍व को पूर्ववती सरकारों ने नहीं समझा, जबकि मुंख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ इसे बखूबी समझते हैं। लिहाज़ा इसका संपूर्ण समाधान उनकी सर्वोच्‍च प्राथमिकताओं में शामिल है। उनके नेतृत्‍व में बुंदेलखंड के 7 जिलों में 479 पाइप पेयजल परियोजनाओं का कार्य पूरी संकल्‍प शक्ति के साथ किया जा रहा है।

यह है यूपी सरकार की पेयजल परियोजना

बुंदेलखंड में 2,185 करोड़ की 12 ग्रामीण पाइप पेयजल परियोजनाओं के निर्माण कार्यों की शुरूआत सरकार की तरफ से की गई है।सरकार का दावा है किइस जल जीवन मिशन की शुरूआत झांसी, महोबा, ललितपुर से हो रही है।पहले चरण में बुंदेलखंड के सात जिले झांसी, महोबा, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट में पाइप लाइन बिछाई जानी है। इससे करीब 67 लाख आबादी को लाभ मिलेगा। चार चरणों में परियोजनाएं पूरी होंगी, जिनकी कुल लागत 10131 करोड़ रुपए है।



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