(अमित कुमार निरंजन) देश में पहली बार डॉक्टर कोरोना के इलाज के लिए ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने वाले हैं, जिसमें डॉक्टर को अपने मोबाइल पर घर में आइसोलेट मरीज के दिल और फेफड़े की रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी। इसके आधार पर डॉक्टर मरीज को फोन पर सलाह दे सकेंगे। यदि मरीज या उसके परिजन फोन नहीं उठाते हैं तो डॉक्टर आपात स्थिति में तुरंत मरीज के घर भी जा सकते हैं। इस तरह की तकनीक से बिना लक्षण वाले मरीज का इलाज 10 गुना सस्ता हो जाएगा। इसकी तकनीक से पुणे के सबसे बड़े अस्पताल रूबी हॉल क्लीनिक में इलाज अगले महीने से मिलने लगेगा। इस डिवाइस को अभया इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एलएलपी स्टार्टअप के सीईओ और फाउंडर तरक वीएस नागराज ने बनाया है।
तरक ने बताया कि इस डिवाइस का नाम डिजीबीट्स है। इसे ऑक्सीजन की मात्रा जांचने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर डिवाइस को ब्लूटूथ से कनेक्ट किया है। डिजीबीट्स को छाती पर लगाया जाता है। ये दोनों ही डिवाइस एक एप से कनेक्ट होते हैं। यह एप मरीज और डॉक्टर दोनों के पास होता है, जो छाती पर लगे डिवाइस का डेटा ब्लूटूथ से एप में कनेक्ट होकर क्लाउड के माध्यम से डॉक्टर के पास जाता है।
90% तक खर्च कम होगा, 20 हजार की जगह 2 हजार रु. लगेंगे
पुणे के रूबी हॉल क्लीनिक के जनरल मैनेजर सचिन दंडवते ने बताया कि हमने इन दो डिवाइस और एप का ट्रायल होम आइसोलेशन वाले मरीजों पर किया है। इससे हमें अच्छे परिणाम मिले हैं। शुरुआत में 100 हाेम आइसोलेशन वाले कोरोना मरीजों को सुविधा देंगे। अस्पताल में अपने गैर लक्षणों वाले मरीज को भर्ती करने पर प्रतिदिन करीब 20 हजार रुपए का खर्च होता है। वहीं घर में मरीज की स्थिति के बारे डिवाइस से जानकारी मिलेगी। इसमें उसे महज दो हजार रु. प्रतिदिन के कोरोना के इलाज का खर्च आएगा। अभी डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की टीम कोविड मरीजों का इलाज कर रही है, जो निगरानी करेगी।
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