परिवहन विभाग ने भले ही 100 प्रतिशत यात्री क्षमता के साथ बसें चलाने के आदेश दे दिए हाें लेकिन इस आदेश और राहत के बावजूद बसों के पहिए बुधवार को भी थमे रहे। जिले में बस सेवाएं शुरू नहीं हाे सकीं। लगभग 200 बसों के नहीं चलने से राहत की आस लगा रहे यात्रियों को भी परेशान होना पड़ा। उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए एक बार फिर जेब से ज्यादा रुपए खर्च करने पड़े।
इधर बस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष संजय आर्य ने बताया कि बसें नहीं चलाने का निर्णय एसोसिएशन ने लिया है। दरअसल मार्च के अंतिम दिनों के साथ ही अप्रैल, मई और जून महीने में बसें खड़ी रहीं। इस कारण बस ऑपरेटर्स की आमदनी नहीं हुई। जमकर नुकसान हुआ है। इसके बावजूद टैक्स माफ नहीं किया गया। इधर छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात समेत अन्य राज्यों में टैक्स माफ कर दिया गया है। अधिकांश राज्यों ने सितंबर तक का टैक्स माफ कर दिया है। जब तक अन्य राज्यों की तरह सरकार टैक्स माफ नहीं करती है, तब तक बसें नहीं चलाई जाएंगी। जून तक का टैक्स माफ करना तो बेहद जरूरी है। अब बसें यदि हम चलाते भी हैं तो भी हमें मेंटेनेंस खर्च निकालना ही मुश्किल होगा।
बसें नहीं चलने से एजेंट, हम्माल, कंडेक्टर, ड्राइवर हो गए बेरोजगार: जिले में बसें नहीं चलने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। डेली अपडाउन करने वाले कर्मचारी ओर जिले में यात्रा करने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बसें नहीं चलने से निजी वाहनों से ही सफर करना पड़ रहा है। वहीं बसें नहीं चलने के कारण एजेंट, हम्माल, कंडेक्टर, ड्राइवर बेरोजगार हो गए हैं। वहीं बस संचालकों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बस संचालकों से बसें चलाने को लेकर बात हुई है, लेकिन वें टैक्स माफी का इंतजार कर रहे हैं। शासन के निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- रंजना कुशवाह, परिवहन अधिकार, बैतूल
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