
भगवान शिव को समर्पित सावन महीने की शुरुआत भी इस बार सोमवार से हुई है। पहले सोमवार को श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग में भगवान शिव का दर्शन-पूजन किया।चूंकि कोरोना काल के चलते सोशल डिस्टेंस की पालना करना बहुत जरुरी है, ऐसे में प्रसिद्ध शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं को पूजन व शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए कई देर तक बाहर खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। वहीं कई लोगों ने प्रतीक्षा करने के बजाय अपने घरों पर ही भोले की पूजा करना वाजिब समझा।
बता दें कि हिन्दु पंचांग के अनुसार श्रावण (सावन) माह से व्रत एवं त्योहार शुरू हो जाते हैं। सावन का महीने भगवान शिव को समर्पित है। इसलिए सावन के महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने तथा पवित्र नदियों से जल से रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ खुश होते हैं। इसी के चलते सावन माह के शुरू होते ही बड़ी संख्या में शिव भक्त हरिद्वार, नीलकंठ व गोमुख पर जाकर पवित्र नदी गंगा में स्नान करते हैं तथा वहां कावड़ में गंगाजल लेकर पैदल नंगे पैर अपने गांव आते हैं तथा श्रावण माह की त्रयोदशी (शिवरात्रि) को मंदिरों में जलाभिषेक कर अपने घर लौटते हैं।
सावन के महीने में सोमवार के दिन शिवजी की आराधना का विशेष महत्व है। इसके चलते शिव मंदिरों में सावन के सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है, परंतु इस बार कोरोना काल के चलते मंदिरों में पूजा-अर्चना करना आसान बात नहीं है।
मंदिरों को किया गया सेनिटाइज
इस बार वैश्विक महामारी के चलते मंदिरों में भी सेनिटाइजेशन का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मंदिर खुलते ही पहले उन्हें सेनिटाइज किया गया इसके बाद भक्तों को प्रवेश करने दिया। मंदिरों में ज्यादा श्रद्धालुओं के एक साथ प्रवेश पर भी रोक लगाई गई थी। इसके चलते श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंस की पालना करते हुए मंदिरों में जलाभिषेक किया।
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