
गर्मी से परेशान जिले के लोगों को अगले कुछ दिनों में राहत मिल सकती है। मानसून की पुन: सक्रियता के चलते शनिवार देर रात तथा रविवार अलसुबह जिले के कई क्षेत्रों में तेज हवा के साथ हल्की बारिश हुई है। इससे लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली।वहीं अब दो तीन दिन मौसम परिवर्तनशील रहने तथा बीच बीच में बादलवाई व हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना है। मौसम में बदलाव के साथ-साथ नहर में भी पानी आ गया है। रोटेशन के हिसाब से दक्षिणी हरियाणा के लिए 1-2 जुलाई को खूबडू हेड से जेएलएन फीडर में पानी छोड़ा गया है। जो रविवार को नारनौल सब डिविजन में पहुंच गया है।
बारिश की कमी व गर्मी के सीजन को ध्यान में रखते हुए संबंधित जिलों महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, चरखी दादरी जिले की ओर से 2850 क्यूसिक की डिमांड खूबडू हेड से जेएलएन फीडर में की गई है। इसमें 1200 क्यूसिक महेंद्रगढ़ जिले के लिए एमसी कैनाल में, 720 क्यूसिक रेवाड़ी जिले के लिए जेएलएन कैनाल में, 900 क्यूसिक चरखी दादरी जिले के लिए लोहारू फीडर में तथा शेष झज्जर जिले के लिए एसएलसी की है। आरंभ में हेड से जेएलएन फीडर में 2500 क्यूसिक पानी छोड़ा गया था। दो दिन चलने के बाद सिस्टम रुटीन में आ जाने के बाद रविवार को हेड से 350 क्यूसिक पानी और बढ़ाकर 2850 क्यूसिक कर दिया है। जिसका अगले दो दिन में असर आ जाएगा।
क्योंकि दक्षिणी हरियाणा का यह नहरी सिस्टम लिफ्ट बेस्ड है। इसमें पंप सेट्स की सहायता से पानी को नीचे से उठा कर आगे फेंका जाता है। इसके लिए पूरे सिस्टम को रनिंग कंडीशन में आना जरुरी है। उसके बाद ही नहर में पानी बढ़ाया जाता है। क्योंकि बिजली का 1 घंटे का कट भी संपूर्ण सिस्टम को प्रभावित कर देता है। जिले में इस बार दो तीन अवसरों पर प्री मानसून की अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश हो गई थी। अब मानसून की सक्रियता के चलते बारिश तथा नहरी पानी से फसलों को जीवनदान मिलेगा।
जोहड़ व वाटर टैंकों को भरा जाएगा : नहर बंदी के चलते जलघरों के टैंकों तथा जोहड़ों में पानी रसातल में चला गया है। ऐसे में नहर में पानी आ जाने से उनमें दुबारा पानी भरा जा सकेगा। इससे पेयजलापूर्ति सुचारू हो सकेगी। अगर साथ साथ बारिश होती रही तो नहरी पानी की सिंचाई के लिए डिमांड निल हो जाएगी। ऐसे में फालतू नहरी पानी को भूमि में रिचार्ज किया जाएगा। इससे भूजल स्तर में सुधार होगा। बारिश व नहरी पानी की कमी के चलते राजस्थान की सीमा के साथ लगते क्षेत्रों में तो भूजलस्तर 1500 फुट से भी अधिक गहराई पर जा चुका है।
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