2025 तक देश में कैंसर पीड़ितों की संख्या करीब 15.7 लाख होगी। यहां कैंसर रोगियों का जिक्र इसलिए, क्योंकि मौजूदा कोरोना काल में कैंसर मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कते हो रही हैं। कोरोना के चलते कैंसर पीडितों के इलाज और उनकी देखभाल में भारी बदलाव आया है।
विशेषज्ञों ने अमेरिका के न्यूयार्क स्थित मोंटफोर मेडिकल सेंटर में भर्ती 218 ऐसे कैंसर मरीजों का अध्ययन किया जो कोरोना से संक्रमित हो चुके थे। 18 मार्च से 8 अप्रैल के बीच की गई इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि इनमें से 61 मरीजों की मौत कोरोना संक्रमण से हो गई जो कि कुल संख्या का 28% है। इस दौरान अमेरिका में कोरोना से मृत्यु दर 5.8 प्रतिशत थी। कोरोनाकाल में इनकी देखभाल कैसी होनी चाहिए, यह बता रहे हैं अपोलो अस्पताल, नवी मुम्बई के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. शिशिर शेट्टी....
इन 12 में से कोई भी लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सम्पर्क करें
- तेज बुखार आना, शरीर में कंपकंपी, पसीना आना, जीभ या मुंह में घाव हो जाना, जीभ पर सफेद परत जम जाना।
- बलगम बनना, सांस लेने में परेशानी होना, पेशाब के दौरान जलन होना या रक्त का आना, पेट में दर्द या ऐंठन होना।
- गले में जकड़न, साइनस का दर्द, कान या सिर में दर्द रहना।
रिसर्च : कम श्वेत रक्त कणिकाएं जिम्मेदार
लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही कैंसर रोगी अस्पतालों में जाने और संक्रमण के खतरे के कारण उपचार और अन्य प्रक्रियाओं को फिर से शुरू करने से डर रहे हैं। अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार ऐसे लोग जिनका पूर्व में कैंसर का उपचार हुआ है उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्युनिटी) कमजोर हो जाती है।
दरअसल कीमोथैरेपी जैसे ट्रीटमेंट के कारण श्वेत रक्त कणिकाओं का बनना कम हो जाता है। श्वेत रक्त कणिकाएं रोग प्रतिरक्षा प्रणाली का प्रमुख अंग हैं। ऐसे में व्यक्ति कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित हो सकता है।
हालांकि कैंसर रिसर्च यूके की रिपोर्ट के अनुसार भले ही किसी व्यक्ति का कैंसर उपचार के बाद ठीक हो चुका हो, लेकिन ऐसे लोगों को भी कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक है। क्योंकि रोगप्रतिरोधक क्षमता समय के अनुसार धीरे-धीरे ही बढ़ेगी। ऐसे में इन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।
वो बातें जो हाई रिस्क रोगियों के लिए बेहद जरूरी हैं
- कोरोना वायरस के चलते हेल्थकेयर सिस्टम को भी कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सा पेशेवरों पर काम की अधिकता का भार है। ऐसे में कैंसर पीडितों के लिए वायरस के संभावित जोखिम को देखते हुए उपचार का समय निर्धारित करना आवश्यक है। जब तक रोगी वायरस के संपर्क में नहीं आता है, तब तक हाई रिस्क वाले रोगियों की देखभाल को रोककर नहीं रखा जाना चाहिए।
- कैंसर रोगियों के लिए चेक-अप क्षेत्र अलग होने के साथ स्क्रीनिंग अनिवार्य की जानी चाहिए। परामर्श के दौरान डॉक्टर के साथ ही रोगी को अत्यधिक सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है। कैंसर रोगियों को इस समय और अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि वायरस के संपर्क में आने का खतरा कम हो। उन रोगियों के लिए जिन्हें तत्काल सर्जरी या प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है, जहां भी संभव हो. टेली-परामर्श और टेली-मेडिसिन का उपयोग करना चाहिए।
- कैंसर रोगियों के लिए किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले, उपचार और दवा के प्रभावी और सुरक्षित कोर्स को सुनिश्चित करने के लिए सभी टेस्ट कराना महत्वपूर्ण है। यही नहीं कैंसर रोगी के साथ ही उनकी देखभाल करने वालों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है ताकि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। इसके अलावा जितना हो सके अन्य विकल्पों को उपयोग कैंसर पीड़ितों को अपने इलाज के दौरान करना चाहिए।
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